Volume 14 | Issue 5
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बौद्ध दर्शन की अनुपम देन अर्हत् और बोधिसत्व का विचार है। हीनयान सम्प्रदाय के अनुसार निर्वाण की प्राप्ति ही अर्हतत्व की प्राप्ति है। परन्तु महायान सम्प्रदाय निर्वाण के बिना भी अर्हतत्व की प्राप्ति संभव मानता है। अर्हत्तत्व निर्वाण का आदर्श वैयक्तिक है, जबकि महायान के अनुसार निर्वाण का आदर्श सार्वभौमिक है। वैयक्तिक आदर्श का तात्पर्य है कि केवल अपनी तृष्णाओं को दूर करने का प्रयास एवं दुःख से मुक्ति। ज्योंहि एक व्यक्ति अपने दुःख से मुक्त होता है, त्योंहि वह निर्वाण को प्राप्त कर लेता है। निर्वाण के पश्चात् उसका व्यक्तित्व नहीं रहता है।