Volume 14 | Issue 5
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बालक के सर्वागीण विकास के लिए उसका शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होना अत्यंत आवश्यक है । जन्म के समय बालक अपने मूल प्रवृतियों से प्रेरित होकर कार्य करता है क्रमशः शिक्षा के द्वारा बालक की इन मूल प्रवृत्तियों का शोधन होना प्रारंभ होता है। बालक की प्रथम पाठशाला परिवार तथा प्रथम शिक्षिका माता होती है तत्पश्चात विद्यालय में गुरु बालक के संपूर्ण व्यक्तित्व को विकसित, व्यवस्थित तथा विविध जीवन कौशल ने समायोजन करना सिखाता है। प्रस्तुत शोध पत्र में शोधकर्जी ने माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के लिए समायोजन उपयोगिता पर अपने विचार व्यक्त किए है।