Volume 14 | Issue 5
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डॉ पूनम लता मिड्ढा, प्रोफेसर, हिंदी विभाग ,निर्वाण विश्वविद्यालय ,आगरा रोड, जयपुर , (राजस्थान) ,भारत करुणा और मनुष्य का जन्मजात से ही एक अट्टू रिश्ता हैं l मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । करुणा एक स्वाभिक इंद्रिय भाव है जो मानव जीवन के जन्म के साथ-साथ उसके रचनात्मक और भौतिक शरीर में बाल्यकाल से ही विद्यमान रहता है और मृत्यु तक यह सभी भाव उसके शरीर में जीवित रहतें है जिसमे करुण-भाव भी मुख्य रूप से आजीवन मौजूद रहता है