Volume 13 | Issue 4
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आज की दुनिया तेजी से बदल रही है। िई तकिीक ों का उदय, वैश्वीकरण का बढ़ता प्रभाव, और सामानजक-आनथिक पररदृश्य में बदलाव निक्षा प्रणाली क भी बदलिे की माोंग करते हैं। यही कारण है नक पररवतििकारी निक्षा की आवश्यकता है। आज की दुनिया तेजी से बदल रही है। िई तकिीक ों का उदय, वैश्वीकरण का बढ़ता प्रभाव, और सामानजक-आनथिक पररदृश्य में बदलाव निक्षा प्रणाली क भी बदलिे के नलए मजबूर कर रहे हैं। यही कारण है नक पररवतििकारी निक्षा की आवश्यकता है, ज छात् ों क 21वीों सदी की चुिौनतय ों का सामिा करिे और उिमें सफल ह िे के नलए तैयार कर सके । पररवतििकारी निक्षा पारोंपररक निक्षा पद्धनत से अलग है। यह रटिे और परीक्षाओों में उत्तीणि ह िे पर ध्याि कें नित करिे के बजाय, समाल चिात्मक स च, रचिात्मकता, सहय ग और समस्या समाधाि जैसे कौिल ों क नवकनसत करिे पर ज र देती है। यह छात् ों क स्वतोंत् निक्षाथी बििे के नलए प्र त्सानहत करती है, ज अपिे जीवि में सफलता और खुिी प्राप्त करिे के नलए आवश्यक ज्ञाि और कौिल का निमािण कर सकें ।