Volume 14 | Issue 5
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Abstract कबीर का काव्य उनकी गहन अनुभूतियों का दर्पण है, जो सत्य, अध्यात्म और मानवता के मूल सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने अपने काव्य के माध्यम से समाज में व्याप्त जातिवाद, धार्मिक कट्टरता और बाहरी कर्मकांडों पर प्रहार करते हुए एक समतावादी, प्रेम और समानता पर आधारित जीवन का संदेश दिया। उनके दोहे और साखियाँ निर्गुण भक्ति की प्रधानता को दर्शाते हुए आंतरिक शुद्धता और ईश्वर की सच्ची भक्ति का मार्ग प्रस्तुत करते हैं। इस शोध-पत्र में कबीर के समय के सामाजिक-धार्मिक परिवेश, उनके जीवन-दर्शन, और उनके काव्य की शैली और प्रतीकात्मकता का विश्लेषण किया गया है। साथ ही, आधुनिक युग में उनके काव्य की प्रासंगिकता और वैश्विक महत्व पर चर्चा की गई है। कबीर के विचार आज भी मानवता, समानता और आध्यात्मिकता की दिशा में प्रेरणा प्रदान करते हैं।