Volume 14 | Issue 5
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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधीवादी विचारधारा का गहरा और दूरगामी प्रभाव था, जिसने आंदोलन को एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की। महात्मा गांधी ने अहिंसा, सत्य और आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों पर आधारित एक व्यापक रणनीति तैयार की, जिसने स्वतंत्रता संग्राम को न केवल राजनीतिक, बल्कि सामाजिक और आर्थिक सुधारों का भी आंदोलन बना दिया। गांधीजी ने सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन के माध्यम से भारतीयों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसात्मक संघर्ष की ताकत दिखाई। उनका "स्वराज" का विचार केवल राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय, जाति भेदभाव का उन्मूलन, और ग्रामीण विकास के माध्यम से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना था। गांधीजी के नेतृत्व ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को जनांदोलन में बदल दिया, जहां हर वर्ग और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की गई। उन्होंने विदेशी वस्त्रों और सामानों का बहिष्कार कर स्वदेशी के प्रचार को बल दिया, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का माध्यम बना। गांधीवादी विचारधारा ने न केवल स्वतंत्रता दिलाने में अहम भूमिका निभाई, बल्कि भारतीय समाज को नैतिकता, समानता, और मानवता के मूल्यों पर आधारित पुनर्गठन की दिशा में भी अग्रसर किया। उनका योगदान आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक है।