Volume 14 | Issue 5
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आज के आधुनिक युग में जीवन को सक्रिय और ऊर्जावान बनाये रखने में एक व्यवस्थित और समर्थ माध्यम सहजता से प्रयुक्त किया जाता है, जिसे हम आज शारीरिक शिक्षा के नाम से जानते हैं। यह शिक्षा का ऐसा माध्यम है जिससे अभिप्रेरित होकर युवा वर्ग अपनी सहज प्रकृति के अनुरूप सहभागी होकर विभिन्न शारीरिक अनुक्रिया को उनकी विशिष्टता और अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ग्रहण करता है। शारीरिक शिक्षा का प्राचीन समय से ही समाज में विशिष्ट स्थान इसकी सामाजिक, भौतिकीय और नैतिकता के विकास के वृहद लक्ष्य के स्वरूप से रहा है