IJFANS International Journal of Food and Nutritional Sciences

ISSN PRINT 2319 1775 Online 2320-7876

भगवानदास मोरवाल के काला पहाड़ नामक उपन्यास में सामाजिक संवेदना

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मिस्टर मिनेश रामनाथ सातपुते

Abstract

समकालीन सामाजिक परिप्रेक्ष्य में भगवानदास मोरवाल का कथा साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान हैं। वर्तमान संदर्भों को समझने में पाठकों को उनका कथा साहित्य बहुत मदद करता है। उन्हें कथा साहित्य ने स्वतंत्रता प्राप्ति के दौरान हुए बदलावों,समस्याओं और सामाजिक विघटनों को स्पष्ट रूप से चित्रित किया है। भगवानदास मोरवाल को हिंदी साहित्य के बहुआयामी लेखक माना जाता है। उनकी लेखन कला ने उपन्यास,कहानी,संस्मरण आदि विभिन्न विधाओं में अपना प्रभाव दिखाया है। उसने अपने लेखन में कई उपेक्षित संदर्भों को विषय बनाया है। उनके लेखन ने स्थानीय जीवन और वातावरण को जीवंत कर दिया है। लेखन के माध्यम से उन्होंने दलितों और वंचितों की मूल संवेदनाओं को उजागर किया है। काला पहाड़ नामक उपन्यास में उनके विचार मेव समाज की लोक संस्कृति,जीवन,शिक्षा प्रणाली,सांप्रदायिकता और सामाजिक व्यवस्था पर था। भगवानदास मोरवाल की प्रतिनिधि कहानियाँ समाज में समानता और अस्मिता के लिए संघर्ष के बारे में बताती हैं। प्रस्तुत शोध पत्र के माध्यम से भगवानदास मोरवाल के काला पहाड़ नामक उपन्यास में सामाजिक संवेदना का यथार्थ चित्रण प्रस्तुत किया गया है।

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