Volume 14 | Issue 5
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भारत के संघीय ढांचे में राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण और विवादास्पद दोनों है, जो संघ और राज्य सरकारों के बीच एक संवैधानिक पुल के रूप में कार्य करती है। यह शोध पत्र संघीय संतुलन बनाए रखने में राज्यपाल की भूमिका की जांच करता है, जिसमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह संवैधानिक प्रावधानों, विवेकाधीन शक्तियों और इन राज्यों में राज्यपालों द्वारा सामना की जाने वाली व्यावहारिक चुनौतियों, विशेष रूप से राजनीतिक संकटों, विधायी हस्तक्षेपों एवं शासन विवादों के दौरान की पड़ताल करता है। रिपोर्ट, केस स्टडी और अकादमिक साहित्य से द्वितीयक आँकड़ों का उपयोग करते हुए, अध्ययन उन उदाहरणों पर प्रकाश डालता है जहाँ राज्यपाल के कार्यों ने संघीय संतुलन को बनाए रखा है या बाधित किया है। विश्लेषण से पता चलता है कि राज्यपाल का कार्यालय केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन राजनीतिक पक्षपात और अस्पष्ट विवेकाधीन शक्तियों जैसे मुद्दे अक्सर इसकी विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं। यह शोध पत्र भारत के संघीय ढांचे को मजबूत करने और सामंजस्यपूर्ण केंद्र-राज्य संबंधों को बढ़ावा देने के लिए राज्यपाल की भूमिका को बढ़ाने की सिफारिशों के साथ समाप्त होता है।