IJFANS International Journal of Food and Nutritional Sciences

ISSN PRINT 2319 1775 Online 2320-7876

वेदों में दार्शनिक विचार

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डॉ. सुभाष चंद्र शास्त्री

Abstract

वेदों में दार्शनिक विचार का विकास भारतीय साहित्य और धार्मिक तत्त्वों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वेदों में ब्राह्मण, आरण्यक, और उपनिषद् शृंगारित किए गए हैं, जिनमें विभिन्न दार्शनिक विचारों का समावेश है। ब्राह्मण भाग में, कर्मकाण्ड के माध्यम से मुक्ति की प्राप्ति के लिए धार्मिक कर्मों की महत्वपूर्णता पर बल दिया गया है। यहां यज्ञ, हवन, और पूजा के माध्यम से ब्राह्मण वर्ग को आत्मा का परमात्मा के साथ मिलन का आदान-प्रदान किया जाता है। आरण्यक भाग में, वन्दना, तपस्या, और योग के माध्यम से आत्मा की साधना पर अधिक बल दिया जाता है। यह विचार वेदान्त दर्शन की ओर प्रवृत्ति का प्रारम्भ है, जो आत्मा और परमात्मा के एकत्व को प्रमोट करता है। उपनिषद् में, दार्शनिक विचारों का और अधिक विकास होता है जैसे कि वेदान्त, न्याय, सांख्य, योग, और मीमांसा। इन दर्शनों में मानव जीवन, ज्ञान, और मोक्ष के सिद्धांतों पर गहरा अध्ययन किया जाता है। वेदों में दार्शनिक विचार का विकास एक नए और ऊँचे स्तर पर मानव सोच और ज्ञान की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

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