Volume 13 | Issue 4
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इस शोध का उद्देश्य यह जानना है कि पीत पत्रकारिता में भारत की जनता की सोच को कैसे प्रभावित किया है। भारत के मीडिया हाउस पीत पत्रकारिता से अनभिज्ञ नहीं हैं। भारत में पीत पत्रकारिता ने अचानक से जोर नहीं पकड़ा है अपितु पिछले तीन दशकों से पीत पत्रकारिता ने भारत के पाठकों व दर्शकों को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। आज टी.वी. चैनलों, समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के विकास का एक ही उद्देश्य है कि हमने सबसे पहले खबर को प्रकाशित किया है या टी.वी. पर हमने सबसे पहले खबर को ब्रेक किया गया है। इन्ही सब कारणों ने भारत में ऐसे समाचार पत्रों का प्रसार अन्य समाचार पत्रों की तुलना में बढ़ जाता है, यह भी कह सकते हैं कि टी.वी. पर उस चैनल की टीआरपी अन्य चैनलों की तुलना में कई गुणा बढ़ जाती है। पीत पत्रकारिता शुद्ध रूप से वाणिज्य, कमर्शियल पत्रकारिता कहलाती है। मगर इसके संपादक इस प्रकार की पत्रकारिता को वैध पत्रकारिता का आवरण पहनाने में लगे हुए हैं।