Volume 13 | Issue 4
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शिक्षक समाज के स्तंभ हैंजो राष्ट्रके भावी नागररकोंको शिशक्षत और सक्षम बनातेहैं। उनके कार्य की प्रकृ शत जशिल और चुनौतीपूर्य होती है, शजसमें शिक्षर्, मूल्ांकन, पाठ्यक्रम शवकास, और शवद्याशथयर्ों के मागयदियन जैसे अनेक कार्य िाशमल होते हैं। शिक्षकों की कार्य संतुशष्ट् उनकी प्रेरर्ा, उत्पादकता, और समग्र स्वास्थ्य एवं कल्ार् को प्रभाशवत करती है। शिक्षक समाज के स्तंभ होते हैं जो भावी पीढी को शिशक्षत और सिक्त बनाने का महत्वपूर्य कार्य करते हैं। उनकी कार्य संतुशष्ट् न के वल उनके व्यक्तक्तगत जीवन को प्रभाशवत करती है, बक्ति छात्ों की शिक्षा की गुर्वत्ता और समग्र रूप से शिक्षा प्रर्ाली को भी प्रभाशवत करती है। शिक्षक समाज के स्तंभ होते हैं, जो भावी पीढी को शिशक्षत और सिक्त बनाने में महत्वपूर्य भूशमका शनभाते हैं। शिक्षकों की कार्य संतुशष्ट् न के वल उनके व्यक्तक्तगत जीवन को प्रभाशवत करती है, बक्ति छात्ों की शिक्षा की गुर्वत्ता और समग्र शवद्यालर् वातावरर् को भी प्रभाशवत करती है। र्ह अध्यर्न सरकारी और शनजी माध्यशमक शवद्यालर्ों में कार्यरत शिक्षकों की कार्य संतुशष्ट् का तुलनात्मक शवश्लेषर् करने का प्रर्ास करता है। सरकारी शवद्यालर्ों में शिक्षकों की भूशमका अत्यंत महत्वपूर्य होती है। वे देि के भशवष्य, र्ानी बच्ों को शिक्षा प्रदान करतेहैंऔर उनमेंराष्ट्रप्रेम, चररत् शनमायर्, और जीवन में सफलता प्राप्त करने के शलए आवश्यक ज्ञान और कौिल शवकशसत करने में महत्वपूर्य भूशमका शनभाते हैं।