IJFANS International Journal of Food and Nutritional Sciences

ISSN PRINT 2319 1775 Online 2320-7876

भारत के महान व्यक्तित्व डॉ. शंकर दयाल शर्मा एंव महात्मा गांधी के शैक्षिक विचारों का अध्ययन तथा वर्तमान शिक्षा में प्रासंगिकता

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सुमित कुमारी, डॉ प्रीती ग्रोवर

Abstract

आधुनिक युग में नैतिक, धार्मिक तथा आध्यात्मिक मूल्यों में ह्रास हो रहा है। मानव जाति अपने विनाश और दुर्दशा के कगार पर है। इसलिए प्रत्येक राष्ट्र की उन्नति उसकी शिक्षा व्यवस्था पर निर्भर करती है। जिस राष्ट्र में जैसी शिक्षा व्यवस्था होगी, वैसे ही वह राष्ट्र व वहाँ के नागरिक बनेंगे। वैसे इस सम्बन्ध मे भारतवर्ष एक सौभाग्यशाली राष्ट्र है, क्योंकि भारतीय ऋषियों, संतों और समाजसुधारकों ने समय-समय पर अपने देश की शिक्षा के लिए बहुत कुछ किया है। डॉ० शंकर दयाल शर्मा एव महात्मा गांधी भी उन अनेक रत्नों में से थे। इन्होंने भारतीय शिक्षा को धार्मिक, आध्यात्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक पक्षों से जोड़ा। भारत में दार्शनिक मनन-चिंतन का अनेक प्रणालियों में बंट जाने पर भी एक ही तारतम्यता दृष्टिगोचर होती है। इसलिए डॉ० शंकर दयाल शर्मा एंव महात्मा गांधी एक शाश्वत ज्ञान प्रहरी व उच्च कोटि के दार्शनिक विचारक के रूप में स्मरणीय हैं। इसलिए इनकी शैक्षिक विचारधारा का अध्ययन आवश्यक हो जाता है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली के परिप्रेक्ष्य में तो इनके शैक्षिक विचारों का शोधन आवश्यक हो जाता है। इन दोनों महानुभावों के विचार एक पारदर्शी जीवन जीने की कला है। इस प्रकार डॉ० शंकर दयाल शर्मा एंव महात्मा गांधी जैसे महानविचारक और विद्वानों के सम्बन्ध में शैक्षिक अध्ययन उन व्यक्तियों के लिए मूल्यवान, महत्वपूर्ण एवं उपादेय होंगे जिन्हें वर्तमान अथवा भविष्य में अपने देश अथवा विश्व की शिक्षा-व्यवस्था के निर्माण का दायित्व ग्रहण करना है।

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