IJFANS International Journal of Food and Nutritional Sciences

ISSN PRINT 2319 1775 Online 2320-7876

अपभ्रंश शैली में पशु-पक्षियों का रूपांकन

Main Article Content

Shivani verma

Abstract

कला मानव मन की आंतरिक अमूर्त भावनाओं को मूर्त रूप में व्यक्त करने का माध्यम रही है। कला की प्राचीनता ने यह सिद्ध कर दिया की मनुष्य का जीवन कला से कितना प्रभावित रहा है तथा पशु-पक्षियों से मानव का किस तरह का संबंध रहा । वर्तमान में मानव की पशु-पक्षियों से प्रेम भावना अतीत का ही तो परिणाम है। प्रागैतिहासिक काल में कला मनुष्य की वाणीं बनीं। उसके पश्चात सभ्यता का विकास हुआ और चित्र, मूर्ति, वास्तु आदि में भी पशु-पक्षी विभिन्न स्वरूप धारण कर जन-जन को प्रभावित करने लगे। एतिहासिक काल में कला को साहित्य रचनाओ में स्थान मिला और भित्ति चित्रो की समृद्द परंपरा ने चित्रकला को नए आयाम दिये। मध्यकाल तक आते-आते कला वैयक्तिक विशेषताओं का रूप लेने लगी व कला की शैलियां बनने लगी। जिनमें पाल शैली व अपभ्रंश शैली भावी शैलियों का आधार बनी । जिसने आगे की कला के हेतु पथ प्रदर्शक का कार्य किया।

Article Details