Volume 13 | Issue 4
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गाँधी जी के राजनैतिक विचारों में जहाँ भारतीय सभ्यता एवं विचारों की छवि उनके व्यक्तित्व पर प्रभाव डालती है तो वही पश्चिमी सभ्यता एवं उनके विचारों ने गाँधी के अंतर्मन को प्रभावित किया था। गाँधी और सुकरात के विषय में एडवर्ड थमसन ने कहा है कि ‘‘मेरा यह विश्वास है कि सुकरात के बाद गाँधीजी के समान आत्मसंश्यी और सम्पूर्ण सन्तुलन वाला व्यक्ति विश्व मे नही देखा।“ संसार का पहला सत्याग्रही जेल भेजा गया और उसे मौत की सजा दे दी गई। जब वह मौत से पहले जेल में था तो उसके शिष्य क्रीटो ने जेल से भागने के लिए कहा और उसने भागने की सारी व्यवस्था कर दी। तब सुकरात ने अपने शिष्य क्रीटो से कहा कि कानून का पालन करो, जब केवल भौतिक हितों का प्रश्न हो...... उसका उल्लंघन करो, और दुखी होकर उल्लंघन करो। गाँधी के मानस पटल पर सुकरात का अंहिसा एवं सत्याग्रह इतना प्रभावशाली हुआ कि उन्होंने उस पर प्लेटो के द्वारा लिखी गयी किताब ‘‘द अपोलोजी एण्ड द क्रीटों ¼The Apology and the Crito½का पुनर्लेखन किया और उसका नामद स्टोरी ऑफ सत्याग्रह¼The story of Sutyagarh½रखा। ^^